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UK Breaking : उत्तराखण्ड सरकार ने गंगोत्री जल परीक्षण में कांग्रेस के आरोपों को किया खारिज

राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टी कांग्रेस द्वारा उत्तराखण्ड सरकार पर गंगा जल को प्रदूषित करने के आरोप एक बार फिर बेबुनियाद साबित हुए हैं। गंगोत्री क्षेत्र में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) से संबंधित कांग्रेस के आरोपों को उत्तराखण्ड जल संस्थान ने ठोस तथ्यों और जांच रिपोर्ट्स के साथ खारिज कर दिया है।

कांग्रेस ने दावा किया था कि गंगोत्री में 100 एमएलडी STP के जल में फेकल कॉलीफॉर्म की मात्रा 540 MPN पाई गई है, जो राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) के मानकों से काफी अधिक है। इसके जवाब में उत्तराखण्ड जल संस्थान ने बताया कि STP का पानी ECON Laboratory & Consultancy जैसी मान्यता प्राप्त लैब द्वारा पुनः परीक्षण करवाया गया है। 18 नवंबर 2024 को जारी रिपोर्ट में यह जल निर्धारित मानकों के अनुरूप भी पाया गया है।

झूठी रिपोर्ट का सच: कांग्रेस का दावा था कि गंगोत्री का STP जल प्रदूषित और मानकों से अधिक

सत्य: ECON लैब की रिपोर्ट में STP जल पूरी तरह NGT के मानकों के अनुरूप पाई गई। जल संस्थान ने कार्रवाई कर पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और अनुबंधित फर्म के आंकड़ों में असंगति की जांच के लिए निर्देश दिए।

उत्तराखण्ड सरकार ने गंगा की निर्मलता और अविरलता को बनाए रखने के लिए हर संभव कदम उठाए। उत्तराखण्ड में 53 सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट्स स्थापित किए गए हैं। जहां कहीं भी कमी पाई गई, वहां सुधारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं।

राजनीतिक प्रपंच का हुआ अंत

उत्तराखण्ड सरकार ने कांग्रेस के दुष्प्रचार को न केवल तथ्यों से खारिज किया, बल्कि यह भी स्पष्ट किया कि गंगा को प्रदूषित करने का कोई सवाल ही नहीं उठता। सरकार गंगा को स्वच्छ और पवित्र बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।

उत्तराखण्ड जल संस्थान और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ताजा रिपोर्ट्स ने कांग्रेस के झूठे आरोपों को बेनकाब कर दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखण्ड की भाजपा सरकार ने गंगा की पवित्रता और स्वच्छता के प्रति अपनी जिम्मेदारी को पुनः सिद्ध किया है।

सरकार ने पुनः साबित की अपनी स्पष्ट नीति

गंगा नदी के संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण के लिए उत्तराखण्ड सरकार ने उठाए कई ठोस कदम:

1. सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट्स की समीक्षा: सभी 53 सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट्स की नियमित जांच और मानकों के पालन पर विशेष ध्यान।

2. प्रदूषण नियंत्रण की निगरानी: उत्तराखण्ड पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और अन्य एजेंसियों के माध्यम से नियमित परीक्षण।

3. पुनः परीक्षण का आदेश: गंगोत्री STP से संबंधित आरोपों के बाद ECON Laboratory & Consultancy से पुनः जांच कराई गई, जिसमें जल मानकों के अनुरूप पाया गया।

4. कार्ययोजना का क्रियान्वयन: गंगा के किनारे बसे शहरों के लिए नई कार्ययोजना लागू की जा रही है, जिससे सीवरेज जल की बेहतर ट्रीटमेंट हो सके।

कांग्रेस पार्टी के दुष्प्रचार पर उत्तराखण्ड सरकार का जवाब

कांग्रेस का आरोप था कि “उत्तराखण्ड में हर दिन 19 करोड़ 50 लाख लीटर सीवरेज गंगा में छोड़ा जा रहा है,” जो पूरी तरह राजनीति से प्रेरित है। सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि जहां भी मानकों से विचलन पाया गया, वहां सुधार की कार्रवाई तुरंत की गई है।

उत्तराखण्ड सरकार द्वारा की गई जनता से अपील

उत्तराखण्ड सरकार जनता से अपील करती है कि गंगा को लेकर फैलाई जा रही अफवाहों पर विश्वास न करें। सरकार ने गंगा की स्वच्छता के लिए ठोस कार्य किया है और भविष्य में भी करती रहेगी।

गंगा के नाम पर राजनीति करने के बजाय, कांग्रेस को जिम्मेदार विपक्ष की भूमिका निभानी चाहिए। उत्तराखण्ड सरकार गंगा की स्वच्छता और पवित्रता के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और इस दिशा में हरसंभव कदम उठा रही है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा स्पष्ट किया गया है कि गंगा हमारी धरोहर है, और इसे संरक्षित रखना हमारा कर्तव्य है। उन्होंने बताया कि उत्तराखण्ड सरकार गंगा की निर्मलता बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयासरत है। भविष्य में उत्तराखण्ड सरकार द्वारा इन योजनाओं पर तेजी से कार्य किया जाएगा:

1. उन्नत सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट्स का निर्माण: आधुनिक तकनीक से लैस नए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट्स बनाए जाएंगे, जो उच्च गुणवत्ता के जल ट्रीटमेंट को सुनिश्चित करेंगे।

2. निगरानी तंत्र का सुदृढ़ीकरण: सीवरेज डिस्चार्ज की सख्ती से निगरानी के लिए एकीकृत डिजिटल प्रणाली लागू की जाएगी।

3. जनजागरूकता अभियान: गंगा की स्वच्छता के प्रति आम जनता को जागरूक करने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाए जाएंगे।

4.* विस्तृत जल परीक्षण कार्यक्रम:* गंगा और उसकी सहायक नदियों के जल की नियमित और व्यापक जांच की जाएगी।

5. सहयोगी संगठनों से तालमेल: गैर सरकारी संगठनों और स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर गंगा सफाई अभियान को मजबूत किया जाएगा।

उत्तराखण्ड सरकार “नमामि गंगे” परियोजना के तहत गंगा नदी को स्वच्छ और अविरल बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। पिछले वर्षों में गंगा की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, और सरकार इसे निरंतर बनाए रखने के लिए तत्पर है।

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