Uttarakhand

महाकुंभ में डूबकी लगाकर भावुक हुए सीएम धामी, कहा महाकुंभ में स्नान करना एक दिव्य अनुभव

प्रयागराज महाकुंभ में त्रिवेणी संगम में सोमवार को डुबकी लगाने के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे एक भावुक और दिव्य अनुभव बताते हुए कहा कि यह उनके हृदयपटल पर सदैव अंकित रहेगा।

धामी ने अपनी मां, पत्नी और पुत्र सहित पूरे परिवार के साथ संगम में स्नान किया।

मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में अपना अनुभव साझा करते हुए लिखा, ”पतितपावनी मां गंगा, मां यमुना एवं मां सरस्वती के परमपवित्र दिव्य त्रिवेणी संगम में महाकुंभ-2025 के अलौकिक एवं पुण्यदायी कालखंड में सपरिवार स्नान का परम सौभाग्य प्राप्त हुआ।”

धामी ने इसे ‘अविस्मरणीय क्षण’ बताते हुए कहा कि इस पवित्र जलराशि से अभिसिक्त होकर आध्यात्मिक शुद्धि एवं दिव्यता का अद्वितीय अनुभव प्राप्त हुआ।

धामी ने बताया कि उन्होंने तीर्थराज प्रयाग की पुनीत धरा पर ईश्वर से समस्त प्रदेशवासियों के सुख-समृद्धि एवं राज्य की उन्नति के लिए प्रार्थना की।

मुख्यमंत्री ने एक अन्य पोस्ट में कहा, ”महाकुंभ शताब्दियों से अपनी अक्षुण्णता बनाए रखते हुए सनातन धर्म की आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक महत्ता के माध्यम से कोटि जनों को धर्म व संस्कृति से जोड़ता आ रहा है। यह केवल आध्यात्मिक चेतना ही नहीं अपितु राष्ट्रीय एकता, अखंडता और विश्व बंधुत्व का प्रतीक है जो मानवता को नैतिक मूल्यों एवं विश्व मंगल की ओर प्रेरित करता है।”

उन्होंने एक अलग पोस्ट में अपनी माताजी को संगम में स्नान कराने के अनुभव के बारे में लिखते हुए कहा कि इसे शब्दों में पिरोना संभव नहीं है।

धामी ने कहा, ”आज प्रयागराज महाकुंभ में त्रिवेणी संगम के पुण्य सलिल में माताजी को स्नान कराने का सौभाग्य मिला। यह मेरे जीवन के उन अमूल्य और भावुक क्षणों में से एक है, जिन्हें शब्दों में पिरोना संभव नहीं है।”

धामी ने कहा कि यह क्षण उनके हृदयपटल पर सदैव अंकित रहेगा।

उन्होंने कहा, ”वेदों, शास्त्रों और पुराणों में उल्लिखित है कि कोई भी जीव कभी माता के ऋण से उऋण नहीं हो सकता क्योंकि माता ही वह प्रथम स्रोत है जिनसे हमारा अस्तित्व जुड़ा हुआ है। माता का स्नेह अनंत, उसकी ममता अपरिमेय और उनका आशीर्वाद अक्षुण्ण होता है।”

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस दिव्य क्षण में उन्हें अनुभव हुआ कि मां केवल जन्मदात्री ही नहीं अपितु सजीव तीर्थ है जिनकी सेवा और सम्मान से जीवन के समस्त पुण्य फलीभूत होते हैं।

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